Quantcast
Channel: SHANKHNAD.ORG
Viewing all articles
Browse latest Browse all 123

कैसे हनुमान ने भगवान् श्रीराम को दुसरा विवाह करने से बचाया था

$
0
0

भगवान् श्रीराम को “मर्यादा पुरुषोतम” भी कहा जाता हैं.

श्री राम को मर्यादा पुरुषोतम की संज्ञा इसलिए दी गयी क्योकि उन्होंने हर क्षेत्र में चाहे वह व्यक्तिगत हो या सामाजिक कभी भी अपनी मर्यादाओं का उलघंन नहीं किया. अपनी इन्ही सीमाओं को ध्यान में रख कर भगवान् श्रीराम ने समाज में सिर्फ उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए अपनी पत्नी सीता का भी त्याग किया था जिन्हें वह रावण से युद्ध कर के सुरक्षित मुक्त करा कर लंका से अयोध्या वापस लाये थे.

लेकिन लंका में उसी युद्ध के बीच एक ऐसा समय भी आ गया था, जब भगवान् राम जिन्हें हम मर्यादा पुरुषोतम कहते हैं को अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए दुसरा विवाह करने की स्थिति में ला खड़ा किया था.

लेकिन हर बार की तरह इस परिस्थिति से भी श्रीराम को उनके परम भक्त और सेवक हनुमान ने बाहर निकाल लिया था

जब भगवान् राम और रावण के बीच युद्ध चल रहा था तो युद्ध रावण के हाथ से निकलने लगा था. अपनी हार को करीब देख कर रावण ने अपने दो भाई अहिरावण और महिरावण को आदेश दिया कि वह राम-लक्ष्मण दोनों का अपहरण कर के उनकी हत्या कर दे. अपने बड़े भाई रावण का आदेश मान कर अहिरावण और महिरावण ने श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्छित कर अपनी गुफा ले आये और उनकी हत्या की तैयारी करने लगे तभी अपने स्वामी श्रीराम को मुसीबत में देख कर हनुमान ने अहिरावण और महिरावण की गुफा में जाकर उन्हें मुक्त कराया.

भगवान् हनुमान जब गुफा में पहुचे तो सबसे पहले उन्हें अपने पसीने की बूंद से जन्मे अपने पुत्र मकरध्वज से युद्ध कर उसे हराना पड़ा था फिर गुफा में प्रवेश कर पाए थे और अपने पिता से हारने के बाद मकरध्वज ने पुरे युद्ध में श्रीराम का साथ दिया था. अहिरावण और महिरावण गुफा में राम और लक्षमण की बलि देने वाले थे तभी हनुमान उस गुफा में प्रवेश कर उनकी सभी सेना का ख़त्म कर चुके थे लेकिन रावण के इन दोनों भाइयों की मृत्यु नहीं हुई थी.

युद्ध के समय उस गुफा में एक नाग कन्या ने हनुमान को अहिरावण-महिरावण के वध का राज़ बताया कि इस गुफा में जो पांचों दिशाओं में दीये रखे हैं, अगर वह एक साथ बुझायें जाये तो रावण के इन भाईयों की मृत्यु संभव हो सकती. नागकन्या द्वारा बताये गए इस रहस्य के बाद हनुमान जी ने अपना पञ्चमुखी अवतार धारण किया और अहिरावण-महिरावण का वध कर के श्री राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया था.

मुक्त होने बाद जिस नागकन्या ने हनुमान जी की मदद की थी वह श्रीराम को देख कर उन पर मोहित हो गयी उनसे विवाह करने की अभिलाषा के साथ श्री राम की ओर वरमाला लेकर आगे बढ़ने लगी, तभी हनुमान अपने स्वामी की रक्षा के लिए एक भंवरें का रूप धारण कर उस नागकन्या को काट लिए जिससे भगवान् राम पर दूसरे विवाह करने का पाप नहीं लग पाया.

चित्रसेना नाम की उस नागकन्या की अपने प्रति भक्ति देखकर भगवान् राम ने उसे द्वापरयुग में अपने कृष्ण अवतार के साथ सत्यभामा नाम की पत्नी बनने का वरदान दिया.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 123

Trending Articles